प्यार हुआ चुपके से ( 6 )
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अयान जब घर के अंदर पहुंचा तो उसने देखा कि विशालाक्षी और शिवी बातों में लगी हुई थी। देखकर साफ पता चल रहा था दोनों की हरकतें एक जैसी है। वह उन दोनों को वही छोड़कर अपने कमरे में चला गया।
आशी अभी तक भी गेट पर खड़ी हुई अयान को मन ही मन कोश रही थी। तभी उसे शिवी की आवाज सुनाई दी और वह भी गेट बंद कर घर के अंदर चली गई। अंदर जाते ही आशी की नजर गेट के पास बनी हुई किचन पर गई जो दिखने में काफ़ी मॉर्डन थी। वही पास में डाइनिंग टैबल भी रखी हुई थी। फिर वह अपना सामान लेकर लॉबी में चली गई जो किचन की अगली तरफ बना हुआ था। वहां पर विशालाक्षी और शिवी पहले से बैठी हुई थी। आशी को देखकर शिवी उस से पहले बोल पड़ी। "आशी कहां रह गई थी तू?"
"कही नही......बस किचन देखने लगीं थी......" आशी की इस बात पर शिवी ने अजीब सा रिएक्शन दिया जिसको आशी ने नोटिस कर लिया। वह कुछ कह पाती उस से पहले ही विशालाक्षी बोल पड़ी। "सॉरी..... मै बाहर से इस तरह अंदर आ गई।"
"कोई बात नही....." आशी ने बिना किसी भाव के जवाब दिया।
"वो मुझे लगा कही शिवी और आयान में लड़ाई ना हो ......" उसने अपनी बात बीच में ही छोड़ दी और फिर आगे बोली। "वो क्या है कि शिवी से भूख ब्रदास्त नही होती .....तो मैं इसे अंदर ले आई...." इतना कहती ही विशालाक्षी ने शिवी की तरफ देखा जो की सोफे पर बहुत बुरी तरह से पड़ी हुई थी।
"हां मालूम है......" फिर वह शिवी को खड़ा करते हुए बोली। "खाना बाद में खा लेना पहले जाकर फ्रेश हो ले........।"
"क्या यार...! अभी खुद तो बोला है कि मुझ से भूख ब्रदास्त नही होती ....उसके बाद भी तू ऐसा कर रही है।" इतना कहते ही शिवी अपना हाथ छुड़ाकर दोबारा फिर सोफे पर लेट गई।
"मतलब स्टेशन की सारी की सारी गंदगी अपने पेट में भेजने का इरादा है?" आशी ने उसे घूरते हुए पूछा।
आशी की इतनी बात सुनकर विशालाक्षी उसे अजीब से तरीके से घूरने लगी। जब आशी ने विशालाक्षी को खुद को इस तरह से घूरते हुए पाया तो वह खुद ही बोल पड़ी। "वो क्या है कि हम कल से स्टेशन और सड़कों के चक्कर ही काट रही है......"
आशी की इतनी बात सुनकर विशालाक्षी ने शिवी को उठाकर खड़ा करने की कोशिश करने लगी और की ओर देखने लगी। आशी, विशालाक्षी के हाव भाव को समझ गई कि वह शिवी को खड़ा करवाने में उसकी मदद चाहती है। उन दोनों ने शिवी को जबरदस्ती खड़ा कर बॉथरूम में भेज दिया। उसके जाते ही दोनों ने चैन की सांस ली मानो बहुत बड़ी जंग फतह कर ली हो। और शायद जंग ही फतह कर ली थी क्योंकि शिवी नहाने के मामले में एक नंबर की आलसी है।
"सॉरी......मै तो नाम ही पूछना भूल गई।" शिवी के जाते ही विशालाक्षी ने पूछा।
"आशी.....आशी आर्या....." आशी ने जवाब दिया और फिर आगे बोली। "मुझे आपका नाम पता है, शिवी ने मुझे बताया था। विशालाक्षी मेहरा.... एम आई राईट....."आशी ने कुछ सोचते हुए पूछा।
"या....राइट..." विशालाक्षी ने जवाब दिया। इसके बाद दोनों ने हल्की फुल्की बातें की और फिर जाकर सोफे पर बैठ गई। शिवी फ्रेश हो कर आ गई। अब उसने लोअर टी शर्ट पहनी हुई थी। उस के आते ही आशी फ्रेश होने चली गई। वाशरूम गेट के पास किचन के दूसरी ओर एक रूम छोड़कर बना हुआ था।
शिवी के आते ही विशालाक्षी ने पूछा। " मै खाना बना दूं?" जिसके जवाब में शिवी ने ना में गर्दन हिला दी। जिसे देखकर विशालाक्षी हैरान रह गई क्योंकि शिवी भरे हुए पेट भी कभी खाने को ना नही कहती.... फिर आज...!
विशालाक्षी को अजीब तरह से देखता हुआ पाकर शिवी बोल पड़ी। " अरे यार....मै खाना ले आई हूं.....और तुम्हारे लिए भी लाई हूं....."
"इसकी क्या जरूरत थी.."विशालाक्षी ने कहा।
"अरे यार इतना फॉर्मल होने की कोई जरूरत नहीं है..... ऐसे कह रही है जैसे हम दोनों पहली बार मिली हो......" शिवी ने तौलिए से अपने बाल साफ करते हुए जवाब दिया और फिर वहां से चली गई।
जब तक शिवी वापिस आई तब तक आशी भी नहा कर वापिस आ चुकी थी। उसने जैसे ही बालों को सुखाने के लिए सिर से तौलिए को उतारने के लिए हाथों को उठाया ही था कि शिवी ने उसे रोकते हुए बोली। "रुक आशी...."
शिवी के अचानक से चिल्लाने की वजह से आशी वही पर रुक गई और अपनी झुकी हुई गर्दन को सीधा करते हुए बोली। "क्या हुआ....."
"बालों में कंघी बाद में कर लेना....." शिवी ने आशी के पास आते हुए कहा।
"पर क्यों....." आशी ने शिवी को अजीब से तरीके से देखते हुए पूछा।
"तुझे पता है कि मुझ से भूख काबू नही होती....और मै जब तक तू नही खाएगी मैं भी नही खाने वाली...." इतना कहते हुए शिवी ने अपना पेट पकड़ लिया मानो भूख की वजह से वह अगले ही पल बेहोश होकर कर नीचे गिर जाएगी।
"ठीक है......" इतना कहने के बाद वे तीनों डाइनिंग टेबल के पास चली गई और खाना खोल कर बैठ गई। शिवी और विशालाक्षी खाना खाने ही वाली थीं कि आशी को अयान का ध्यान आ गया और वह फिर विशालाक्षी से बोली। "अपने भाई को खाने के लिए बुला लो वैसे भी खाने का टाइम हो चुका है......"
उसकी इतनी बात सुन शिवी और विशालाक्षी एक दूसरे की तरफ देखने लगी क्योंकि खाने की वजह से वें उसे भूल ही गई थी।
"अयान .....आकर खाना खा लो..."विशालाक्षी ने उसे आवाज लगाते हुए कहा।
अयान कमरे में बैठा हुआ अपनी ही दुनिया में खोया हुआ था। उसके दिमाग में तरह तरह के विचार आ रहे थे। अपना नाम सुनकर वह वास्तविकता में आ गया और फिर बोला। "मुझे भूख नहीं...तुम खा लो....."
इतना सुनकर वे तीनों खाना खाने लगी और अयान कमरे में बैठा हुआ खुद से ही बात कर रहा था। "कुछ भी हो जाए मै तुम लोगों को यहां पर रहने नही दूंगा......इसके लिए मुझे कुछ भी करना पड़ जाए कुछ भी मतलब कुछ भी......." अयान से अपनी भूख काबू नही हो पा रही थी और ना ही वह अब उन लोगों से खाना मांग सकता था और ना ही बना सकता था। चुपचाप वह अपनी जगह से उठा और घर से बाहर चला गया।
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आगे क्या मोड़ लेगी ये कहानी जानिए अगले भाग में..........
Raziya bano
25-Aug-2022 07:39 AM
Nice
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आँचल सोनी 'हिया'
25-Aug-2022 12:49 AM
Achha likha hai aapne 🌺🙏
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𝐆𝐞𝐞𝐭𝐚 𝐠𝐞𝐞𝐭 gт
24-Aug-2022 10:27 PM
अच्छा भाग था यह भी। देखते है आगे क्या होगा।
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